सुमित और मैं बचपन के दोस्त हैं और बचपन से नासिक की एक सोसाइटी में हम साथ में ही रहते थे. सुमित बचपन से ही दुबला पतला था और स्कूल में भी सब उसे पतला कहकर चिढ़ाते थे लेकिन मैं खेल में सबसे आगे रहता था और मुझे बॉडी बनाने का शौक भी था इसलिए जैसे ही 12वीं पास की मैनें जिम जाना शुरू कर दिया और शरीर को अच्छी तरह कस लिया. बचपन से ही सुमित मेरे घर और मैं उसके घर आते जाते रहते थे और हमारे बीच में भाई जैसा रिलेशन था. हमारे घरवाले भी एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे. मेरी मम्मी हाउस वाइफ थी लेकिन सुमित की मम्मी ऑफिस जाती थी.
हम दोनों का एडमिशन अलग-अलग कॉलेज में हो गया और मेरी एक गलफ्रेंड भी बन गई.
रोज़ कहीं न कहीं हम घूमने जाते और साथ में मस्ती करते. जवानी अभी पूरे शबाब पर थी और शरीर हमेशा एक्टिव रहता था इसलिए लंड भी हमेशा गरम और खड़ा ही रहता था. मैं अपनी गलफ्रैंड को कभी किले घुमाने ले जाता तो कभी पार्क में. मैं हर जगह कोना पकड़कर अपने होठों की गरमी उसके होठों से बुझाता था और जब ज्यादा करना होता था तो लंड निकाल कर उससे चुसवाता था, वो भी ये सब बहुत पसंद करती थी और उसे चूचे चुसवाना बहुत अच्छा लगता था.
ऐसा कईं बार होता था कि मैं उसके चूचे चुसते-चुसते मदहोश हो जाता था और मेरा हाथ उसकी जींस के अंदर चला जाता था और मैं उसकी चूत में उंगली करने लगता. लेकिन वो जानती थी कि अगर एक बार मैनें उसे बेकाबू कर दिया तो फिर वो खुद को नहीं रोक पाएगी इसलिए वो मेरे हाथ को चूत में डालने से पहले ही रोक देती थी. मैं उसके होंठ, गला, चूचे, जांघें चाटता और चूसता था और वो भी ये सब बहुत मज़े से करने देती थी. ऐसा कईं बार होता था कि मैं जब हाथ उसकी पैंटी पर डालता तो वो गीली हो जाती थी क्योंकि चूत गीली हो जाती थी और वो उसका पूरा मज़ा ले रही थी लेकिन जैसी ही मैं आगे बढ़ता वो हाथ पकड़ लेती और हर बार कहती – ये नहीं, बस, बाकि सब करलो.
मैं उसे चूस-चूस कर थक चुका था, मैंने उसके चूचे दबा-दबाकर और चूस-चूस कर बड़े कर दिए थे. लेकिन जब मैं उसकी टाइट और मोटी गांड देखता था तो मुझसे रहा नहीं जाता था क्योंकि मैं एक बार उसे लंड की सवारी करवाना चाहता था और ये मेरी सबसे बड़ी तमन्ना थी. लेकिन ये तमन्ना पूरी नहीं हो रही थी. मैंने कई बार उसकी गांड दबाई है, बहुत मज़ा आता है लेकिन वो गांड तब देगी जब मैं उसकी चूत में उंगली करूंगा और वो हो नहीं पा रहा था.
मैं तड़प रहा था लेकिन मुझे क्या पता था कि मुझे जब मिलेगा तो छप्पर फाड़ कर मिलेगा. मैं एक दिन सुमित के घर गया और सुमित बाथरूम गया हुआ था, तभी उसकी मम्मी नीली साड़ी और आधे ब्लाउज में बाहर निकली.
मैंने आंटी को बचपन से देखा था लेकिन जिन नज़रों से आज देख रहा था ऐसा पहले कभी नहीं देखा. आंटी की बाहें इतनी गोरी, आंटी की पीठ दिखाई दे रही थी और आंटी की गोरी-गोरी नाभि देखकर तो मैं दीवाना हो गया. आंटी का ब्लाउज चूचों पर ऐसे टाइट हो रखा था मानों अभी हुक टूटकर बाहर गिर जाएंगे. आंटी ने मेरी ओर देखा और आंटी पर मेरी हवस भरी नज़र पहुंच चुकी थी. आंटी और मेरी नज़र एक दूसरे से ऐसे टकराई जैसे पहली बार टकरा रही हो.
मैंने नजर हटा ली और फिर कहा – आंटी सुमित है क्या ?
आंटी ने कहा – बैठो बाथरूम में है, आती ही होगा. मैं सोफे पर बैठ गया और आंटी मेरे सामने लगे गद्देदार सोफे पर टांग के ऊपर टांग रखकर बैठ गई. आंटी का ब्लाउज बहुत छोटा था, आंटी के गोरे-गोरे चूचे मुझे साफ नजर आ रहे थे या यूं कहूं कि आंटी मुझे चूचे दिखा रही थी. चूचे इतने मस्त थे कि वहीं आंटी के सामने आंटी को देखते हुए मुठ मारने का मन कर रहा था लेकिन बस मन में सोच-सोचकर खुश हो रहा था.
आंटी को देखने से मेरे अंदर वासना की ऐसी चिंगारी भड़क उठी थी जो अब शांत नहीं हो रही थी. मैं घर आकर आंटी के चूचों, होठों, नाभि को याद कर करके मुठ मारने लगा था. मेरे दिमाग में आंटी की नंगी तस्वीर घुमने लगी थी और मैं इंटरनेट पर बड़ी औरतों की चुदाई की वीडियो देखने लगा था. आंटी की जांघों और जाघों के बीच चूत को सोच-सोचकर मैं आंटी के लिए तड़प रहा था और जैसे-जैसे जवानी उफान मार रही थी, आंटी की चूत मारना मेरी तड़प बन चुकी थी. लेकिन मेरे सामने इतनी मुश्किलें थी कि उसे पार कर पाना बहुत मुश्किल है. एक तो सुमित की मम्मी, दूसरा बचपन से देखा हुआ, घरवालों के रिश्ते, बदनामी का डर. लेकिन सबसे बड़ा चैलेंज था कि सुमित की मम्मी का ध्यान मेरी ओर आकर्षित होना.
इसके लिए मैंने जिम जारी रखा और अपने जिस्म को और कसता चला गया.
अब मैं किसी भी हाल में आंटी की चूत का रस पीना चाहता था और इसलिए मैंने आंटी का टाइम नोट करना शुरू कर दिया था. वो कितने बजे छत पर आती है, कितने बजे बालकनी में आती है, रात को कब सोती है, सब कुछ. मैं उसी वक्त पर बिनी किसी शर्ट या टीशर्ट पहने छत पर कसरत करना शुरू कर देता था, लेकिन आंटी मुझे नोटिस नहीं कर रही थी.
लेकिन मैं ही ऐसा सोच रहा था और ये मुझे उस दिन पता चला जब आंटी ने मुझे देख कर अपने होठों को दांतों से काटा. एक दिन आंटी छत पर पेंटी और ब्रा डालने आई थी और उन्होंने मुझे देखा कि मैं टीशर्ट पहन रहा हूं तो उन्होनें कहा – अरे, वैसे ही अच्छा लग रहा है, कपड़ों की क्या ज़रूरत है.
ये सुनकर मैं समझ गया कि मेरी कोशिश रंग ला रही है, बस उस दिन का इंतज़ार है जब आंटी के अंदर भी चुदाई की चसक बढ़ जाए. मैं कोशिश में लगातार लगे रहा. एक दिन सुमित ने मुझे अपने घर पर बुलाया और कहा – जल्दी आजा घर पर कुछ काम है. मैनें कहा – ठीक है और मैं पहुंच गया पर मैनें देखा कि आंटी ने नाइटी पहनी हुई है जो उनके जिस्म पर पूरी तरह कसी हुई है, उनके चूचे, चूत और गांड की शेप पूरी तरह नज़र आ रही थी.
मैनें कहा – सुमित कहां है आंटी, वो तो बोल रहा था इमरजेंसी है.
आंटी ने कहा – अभी आ जाएगा, ज़रा बाहर गया है. ऐसा कहकर आंटी मेरे बाजू में आ गई और मुझे निहारने लगी और थोड़ी देर बाद मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया. मैं यह सब पाने की चाह देख रहा था .। आंटी ने मेरा मुंह पकड़ा और मरे मुंह को अपने चूचों की तरफ कर दिया. आंटी के चूचे बेहद खुशबूदार और रसीले थे लेकिन मैं कुछ घबराया हुआ था. आंटी के चूचों ने सब कुछ बदलकर रख दिया. मेरी भावनाएँ सब भूल चुका था मैं. आंटी के चूचे एकदम टाइट और मोटे थे. मैनें अपनी जीब बाहर निकाली और मैं चूचों को चाटने लगा. आंटी के चूचों का स्वाद बेहद रसीला था और आंंटी बहुत खुश हो रही थी.
मैनें आंटी के इरादे भाप लिए थे और मैं ये जान चुका था कि आंटी मेरे लंड की प्यासी हो चुकी है और अब मुझे वो मिलने वाला था जिसकी भूख मेरे अंदर बढ़ती जा रही थी, मैं आटीं के फिगर पर पिघलता जा रहा था, आंटी बार-बार साड़ी का पल्लू गिराकर मुझे अपने चूचों के दर्शन करवा रही थी और उनके निप्पल देखकर मेरा लंड गिला हो रहा था.
मैं सुमित और अपनी दोस्ती को लेकर बहुत सीरियस था लेकिन जब सामने मलाईदार और रसभरे चूचें हों तो भला दोस्ती कहां याद रहती. मैनें आंटी को अपना फोन नंबर दे दिया और आंटी से रात को फोन करने के लिए कहा.
आंटी मान गई और अपनी शरारती नज़रों से मुझे देखकर मुस्कुराई.
पता नहीं आंटी के अंदर कौन सी चिंगारी बची हुई थी जो अब तक मुझे दिवाना किए हुए थी. आंटी ने मुझे रात को फोन किया और मुझे फोन पर गरम करना शुरु किया.
आंटी – क्या कर रहे हो अभी ?मैं – लंड को मसल रहा हूं आंटी – लंड ज्यादा गरम हो रहा है क्या मैं – हां, तप रहा है और किसी प्यासी चूत में घुसना चाहता है, तभी इसकी शांत होगी.आंटी – मेरी चूत की गरमी सहन कर लेगा क्या मैं – अरे..एक बार डलवा कर तो देखो, गरमी के साथ चसक भी पैदा कर देगा आंटी – ऐसा है क्या मैं – आ जाऊं क्या आंटी – नहीं, रूकों मैं पीछे का दरवाज़ा खोलती हूं, वहां से आओमैं – लेकिन वहां तो बाथरूम है आंटी – तो क्या बाथरुम में झटके नहीं मार सकते मैं – टांगे उठा देना, झटके तो भक-भक करके मिलेंगे.आंटी – तो आ जाओ, मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए प्यासी हो रही है और गीली हो चुकी है.मैं – आता हूं, आज सारी गरमी उतार दूंगा.
मैं पीछे के दरवाज़े से बाथरूम में चला गया तो देखा आंटी नंगी खड़ी हो रखी थी और अपनी ऊंगलियों से चूत को सहला रही थी. चूत गीली हो चुकी थी और बस अब चुदाई चाहती थी. मैनें बिना देर किए आंटि कि टांग उठाई और आंटी की आंखों में आंखे डालकर चोदने लगा.
आंटी कभी आह…आह…..करती तो कभी अपने दांतों से अपने हाठों को काट रही थी तो कभी जीब से मेरे गले को चाट रही थी. पच….पच….पच…..आवाज़ आंटी को मदहोश कर रही थी. Dost ki maa chodi
आंटी – और ज़ोर से चोदो. ..आह…..आ…………..उई मां………….अई……………..और चोदो…आ…..आ……..नहीं…..दर्द हो रहा है…..आ…..आ…..ह…..ह…….
आंटी को चोदने में वो मज़ा आ रहा था जो मैनें पहले कभी महसूस नहीं किया था. अब आंटी की तड़प चीखों में बदल चुकी थी और आंटी ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो चुदाई के उस दर्द का पूरा मजा ले रही थी.
मैनें आंटी को पीछे घुमा दिया और लंड को पीछे से डाला और झटके मारने लगा. मैनें आंटी के चूचों को अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया और नीचे से चुदाई के झटके दे रहा था. मेरा लंड पहली बार इतनी देर तक चुदाई का मजा ले रहा था. न जाने कब से प्यासा था और आंटी की चूत से पानी बहने लगा और उससे चूत और लंड दोंनो गीले हो गए.
अब मेरा झड़ने वाला था, मैनें आंटी के मुंह के सामने लंड रखा और पच….पच…..उनके मुंह में झाड़ दिया. मेरा लंड गरम था लेकिन आंटी की चूत की गरमी शांत हो चुकी थी और आंटी को मेरी चुदाई का चस्का लग चुका था. अब आंटी के लिए मैं हवस और वासना को पूरा करने वाला एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसे वो जब चाहे इस्तेमाल कर सकती थी.