मेरा नाम कोमल है और मैं हरियाणा के जींद में एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हूं. मैं अंग्रेजी पढ़ाती हूं लेकिन मैं बैंगलोर की रहने वाली हूं. यहां नौकरी और सैलरी दोनों अच्छी है इसलिए यहाँ टीचर बन गई. मुझे लगा स्कूल तो स्कूल होता है,उसमें क्या फर्क होता है लेकिन सच यही है कि हर जगह का अपना एक रंग होता है लेकिन दिन के साथ मुझे अपनी रातें रंगीन करने का भी बहुत शौक था और उसी प्यास की तलाश में मैं यहां आई थी. स्कूल में नौकरी के अलावा मुझे यहाँ रहने के लिए कमरा भी चाहिए था इसलिए कमरे की तलाश करने लगी.
मेरी एक दोस्त ने मेरे लिए कमरे की बात कर रखी थी और मुझे कमरा पसंद करना था,
अगर सब ठीक रहा और कमरा पसंद आ गया तो फिर सारी परेशानी दूर. मैं कमरा देखने गई और मुझे कमरा बहुत पसंद आया. मैं किराए की बात करने के लिए मकान मालिक से मिलने गई. मैनें घंटी बजाई तो एक जवान और खूबसूरत नौजवान मेरे सामने खड़ा था. कद तकरिबन 6 फीट, चौड़ी कसी हुई छाती और रंग गोरा. उसे देखकर मेरे अंदर सोई हुई हवस जाग उठी थी.
उसने पूछा – हां जी आप कौन ?मैनें कहा – मैरा नाम कोमल है, मैं आपका कमरा किराए पर लेने आई हूं, पैसों की बात करनी है. उसने कहा – अच्छा, लेकिन पापा तो घर पर नहीं है, आप अंदर आ जाओ.
मैं अंदर चली गई, उसे कहा – मैं पापा को फोन करके पूछ लेता हूं, तब तक आप बैठ जाइए.ऐसा कहकर वो अंदर चला गया.दो मिनट के बाद वो आया और कहा – कमरे का किराया 5 हजार है, अगर आपको ठीक लगता है तो आप कल से ही आकर रह सकती हैं.
मैं बहुत खुश हो गई लेकिन इसलिए नहीं कि मुझे कमरा पसंद आ गया था और सस्ते में मिल गया बल्कि इसलिए कि मेरी उस लड़के की तलाश खत्म हो चुकी थी जिसकी तलाश मैं कर रही थी. मैंने फट से सामान पैक किया और मैं अगले ही दिन पहुंच गई. मैनें चाबियाँ ली और कमरा खोला. जितना मैनें सोचा था कमरा उससे बड़ा था और मेरे लिए बहुत था.
मैनें समान रखा और अंकल को पैसे दे दिए.अंकल ने कहा – अक्की थोड़ी देर में आ जाएगा और तुम्हारी मदद कर देगा. मैनें पूछा – अक्की कौन ?अंकल ने कहा – मेरा बेटा है, जिससे तुम उस दिन मिली थी. ये सुनते ही मेरी आंखों में चमक आ गई और दिल ज़ोर से धड़कने लगा. दरअसल मुझे अक्की बहुत पसंद आ गया था. उसका जोशिला और कसा हुआ बदन देखकर मैं उसकी दीवानी हो चुकी थी. मैनें कहा – ठीक है, थैंक यू अंकल जी थोड़ी देर में अक्की आ गया और बोला – आपको कोई मदद चाहिए. मुझे कोई मदद नहीं चाहिए थी लेकिन मैनें उससे कहा – हाँ थोड़ा सामान उठाकर रखना है और मैनें उसे थोड़ा सामान ऊपर रखने के लिए दिया.
जैसे ही वो ऊपर सामान रखने लगा उसकी टी शर्ट ऊपर हई और उसका कसा हुआ जिस्म और उसकी दोनों बाहें मुझें दिखीं और मेरे अंदर हवस की चिंगारी दोड़ पड़ी.
मैं पिछले दो सालों से एकदम खाली थी, मेरी चूत लंड का स्वाद भूल चूकी थी और उस चोट के दर्द को भी भूल चूकी थी जो लंड से मिलती है. मैं किसी ऐसे नौजवान की तलाश में थी जो मेरे ये अरमान पूरे कर दे. अक्की के अंदर वो हर बात थी जिसकी मुझे तलाश थी. मैनें कहा – थैंक यू, आपने मेरी बहुत मदद की.
अक्की – नहीं, इसमें थैंक यू कैसा ?मैनें कहा – आप कॉलेज में पढ़ते हैं उसने कहा – नहीं, मैं नौकरी करता हूं मैनें तारीफ कर दी – लेकिन आप बहुत जवान दिखते हैं बिल्कुल कॉलेज के लड़के की तरह. अक्की एकदम देसी हरियाणी लड़का था,
उसका जिस्म जितना पक्का था, वो उतना ही भोला था इसलिए मेरी आंखों में न हवस दे पा रहा था और न ही मेरी बातों से अंदाज़ा लगा पाया. लेकिन मेरी नज़र उसी पर थी और अब मैं जानती थी कि धीरे-धीरे उससे मिलना जुलना बनाना होगा. मैं सुबह उठी, मुझे तैयार होकर स्कूल जाना था,मैं नहाने गई तो मैनें देखा कि अक्की छत पर कसरत कर रहा था और उसने टीशर्ट नहीं पहनी थी.
उसके बदन से बहता पसीना मेरी चूत को गीला कर रहा था. उसके जिस्म की हर कसावट मेरे बदन में कपकपी मचा रही थी. मैं बाथरूम की खिड़की से उसे देखने लगी. मैनें धीरे-धीरे अपनी जींस पैंट उतारी और पैंटी के बाहर से ही चूत को मसलकर गरम करने लगी. अक्की का गठीला जिस्म मुझे उससे होने वाली चुदाई का अहसास करवा रहा था.
मैनें इतना बांका सजीला नौजवान पहले नहीं देखा था.
अक्की की एक-एक मसल मुझे गरम कर रही थी. मैनें टी-शर्ट खोल दी और ब्रा के बाहर से ही चूचों को मसलने लगी. मैं धीरे-धीरे एक हाथ से चूचे मसल रही थी तो दूसरे हाथ से चूत को मसलकर गरम कर रही थी, मैं पहली बार किसी लड़के को देखकर ऐसा एहसास कर रही थी.
मैनें चूचों का निप्पल ऐसे दबाया कि दूध बाहन आने लगा मेरे दोनों निप्पल लाल और गरम हो गए, मैं हवस की आग में जलने लगी. अक्की कसरत कर रहा था और उसका जिस्म पूरी तरह गीला हो चुका था और यहाँ मैं अपनी चूत गीली करना चाहती थी.
मैं अक्की को सामने देखकर उससे महसूस करने लगी. मैनें महसूस किया कि अक्की मेरी चूत को अपनी ऊंगली से गरम कर रहा है, उसने मेरे होठों पर अपने नरम और लाल होंठ रख दिए हैं, वो मेरी गर्दन और चूचों के ऊपर चूम रहा है, चाट रहा है, मुझे काट रहा है.
मेरे जिस्म में एक चुबन महसूस होने लगी थी.
चूचों को मैं इस तरह दबा रही थी जैसे लगे कि अक्की दबा रहा है, अब मुझे दर्द भी होने लगा था लेकिन इस दर्द में अजीब सा मज़ा था. आह…..आह……अक्की…..आह…..आ……उई…….उई…….अई…….अई…….मेरी सिसकियाँ निकल रही थी लेकिन मैनें चुत को मसलना बंद नहीं किया. मैं पूरी तरह अक्की को महसूस कर चुकी थी, अक्की मेरी नाभि पर चुम रहा था, मेरी नाभि अक्की के चुमने से थरथरा रही थी लेकिन अक्की मेरी नाभि और उसके नीचे लगातार अपनी गरम आहें भर रहा था. अक्की मेरी नाभि से चूमते हुए नीचे जाने लगा और धीरे-धीरे वो मेरी चूत तक पहुंच गया और मेरी चूत को उसने पूरी तरह अपने मुंह के अंदर ले लिया और चप…चप…..करके चूसने लगा.
मेरी चुत अब गीली होने लगी थी, मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत गीली होने लगी है.
अक्की मेरी चूत को चाट रहा है वो रूकने का नाम नहीं ले रहा..अम…आ….अम…आउ…..म….म…. चूसे जा रहा था और असल में मैं चूत मसल रही थी. मेरी आवाज़ निकलने लगी – आय….अक्की, आ…..अम…..अम…..म…..म…..आ…….अक्की और जोर से…म….अम…..आ…….आ…उई……आह….आह….आह…..और मेरी चूत से पानी बहने लगा लेकिन मेरी चूत की गरमी शांत होने का नाम नहीं ले रही थी.
मैनें अक्की से कहा – सुन, मेरी चुत में उंगली घुमा,ऊंगली को ऊपर-नीचे फिरा और हर जग थूककर चाट।
अक्की ने वैसा ही करना शुरु किया. मैं आज अपने सारे अरमानों को पूरा करना चाहती थी और अक्की मेरे अरमानों को अपनी आग से बढ़ाए जा रहा था.
अक्की बहुत बेताबी से मेरी चूत को सहला रहा था और चूत में ऊंगली ऐसे फेर रहा था जैसे आज इसे खा जाएगा. अक्की चूत पर थूक रहा था और फिर उसे चाट रहा था. मेरी चूत पूरी तरह लाल हो गई और अक्की का लंड भी तपते लोहे की गरम हो चुका था.
उसने अपने लंड का टोपा हटाया और मेरी चूत को अपने लंड से सहलाने लगा. मैं पागल हो गई, मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूं. अक्की के लंड की गरमी मेरी चूत को बैचेन कर चुकी थी. अक्की अपने लंड को पकड़कर अंदर-बाहर कर रहा था और मेरी चूत भी उसके लंड के लिए तड़पती जा रही थी. मैं अच्छी तरह जानती थी कि अक्की से सामना होते ही ये हवस की आग फिर जाग जाएगी.
लेकिन मैं पूरी तरह बेफ्रिक थी क्योंकि मैं जानती थी कि अक्की मुझसे ज्यादा दिन तक बच नहीं सकता. एक दिन मैं स्कूल खत्म होने के बाद कमरे में आई और मैनें देखा कि अक्की मेरे घर पर आया और बोला – वो किराया लेना था, पापा ने कहा कि आपसे ले लूं.
मैंने कहा – हाँ वो देना भूल गई…बैठो मैं अभी लाती हूं. मैं पैसे लेकर आयी और मैनें पैसे अक्की के हाथ में दे दिए और इसी बहाने मैनें अक्की के हाथों को अच्छी तरह छू लिया. अक्की ने फौरन हाथ छुड़ा लिया.
मैनें कहा – बताओ, लड़के होकर इतना शरमा रहे हो, ऐसा क्यों ? मैं क्या खूबसूरत नहीं हूं. अक्की बोला – नहीं ऐसी बात नहीं है, मैं बस लड़कियों से दूर रहता हूं. मैनें कहा – क्यों अक्की – मैं मेरे काम में फोकस करता हूं और उसी में रहना चाहता हूं.मैनें कहा – तो लड़की क्या फोकस हटा देती है अक्की – हाँ पूरी तरह, प्यार चीज़ ही ऐसी है, आदमी सबकुछ भूल जाता है.
मैनें कहा – तो प्यार करने को कौन बोल रहा है तुमसे, प्यार करना ही क्यों है अक्की – तो, और क्या करना होता है मैनें कहा – क्यों, बदन की, इस जिस्म की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी तो रिश्ता हो सकता है.ये सुनकर अक्की चौंक गया और कहने लगा – अच्छा, तो तुम इसीलिए लड़कों के पास जाती हो.मैनें कहा – हाँ, ये तो हर किसी की ज़रूरत है, इंसान प्यार के बिना रह सकता है लेकिन अकेले जिस्म की आग शांत किए नहीं रह सकता. अक्की को न जाने क्या हुआ और उसने मुझे कमर से पकड़ा और अपनी ओर पूरी ताकत से खींच लिया.
अक्की के कस के पकड़ने की वजह से मेरे चूचे अक्की की छाती से टकरा गए और उस टकराहट को अक्की रोकना नहीं चाहता था. मेरे चूचों को लगातार अपनी छाती से दबाए जा रहा था. उसे अपना हाथ ऊपर निकाला और अपने हाथों के मेरे चूचों के नीचे ले आया और नीचे से दबाने लगा. चूचों के दबते ही मेरी चीस निकल उठी.
अम….अम….आ…..आ……अक्की….अम…..अम…..आ……इ…..चूचों को अक्की जिस तरह मसल रहा था, उसकी मसलन ने मेरे शरीर में आग पैदा कर दी थी. अब मेरी धड़कन तेज़ हो चुकी थी और मुझे अक्की के जिस्म की भूख थी. मैं उसके जिस्म को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी. मैनें अपनी पैंटी के अंदर हाथ दे दिया और ऊंगली से चूत को सहलाने लगी.
चूत धीरे-धीरे खुल रही थी और तड़प बढ़ती जा रही थी. अब मैं एक झटके में अक्की की बाहों में आ गई थी और अब मेरे और उसके बीच सिर्फ न मिटने वाला फांसला था, अक्की मुझे देख रहा था और मैं उसे, तभी अक्की आगे बढ़ा और मेरे होठों पर अपना गरमागरम चुंबन दे दिया.
अक्की ने अपने होठों से मेरे होठों को रगड़ना शुरु कर दिया.
अक्की मेरे होठों को ऐसे चूस रहा था जैसे आम चूस रहा हो. उसे होठों की रगड़ से ही मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई थी. हम दोनों के जिस्म की गरमी आपस में मिल गई. अक्की मेरा नीचे वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ पर चुंबन दे रही थी. अक्की बार-बार अपनी जीब बाहर निकालकर मेरे होठों के अंदर रख रहा था और मैं अक्की की जीब को मुंह के अंदर रखकर चूस रही थी. मैं अक्की के होठों को काट रही थी और अक्की मेरे होठों को. हम दोनों की आंखें बंद हो चुकी थी और दोनों के जिस्म एक दूसरे को चूसने को बेताब हो गए थे.
होठों को काटना हम दोनों ने ही शुरू कर दिया था.
हम दोनों ने एक दूसरे की जीब को एक-दूसरे के मुंह में रख लिया जिससे हमारे बीच कभी न मिटने वाली आग भड़क उठी थी और अब हम दोनों एक दुसरे के जिस्म को पाने के लिए बेताब हो गए थे. मैं अक्की को चूमने के लिए मजबूर हो चुकी थी इसलिए मैं उसे बस चूमे जा रही थी, मेरी दिल और सांसे तेज़ हो गई थी. हम दोनों के बीच एक गरमी पैदा हो गई थी. अक्की ने देखा कि मैं उससे पूरी तरह चिपक गई हूं और इसी का फायदा वो उठा रहा था.
उसने मुझे कमर से पकड़ा और अपनी दोनों टांगे के बीच मेरी एक टांग फसा दी और टांगों से मेरी चूत को रगड़ने लगा. मेरे अंदर चिंगारी सी दौड़ गई और चूत धाप-धाप करने लगी जैसे अब चूत के छेद को बस अक्की का गरम और प्यासा लंड चाहिए। मैं पूरी तरह चिपक चुकी थी. अक्की ने मुझे कमर से पकड़ कर मेरी कमर को कस के दबाया. मेरी आह..निकल गई. मैनें कहा – अरे..तोड़ दोगे क्या ?अक्की ने कहा – मज़ा तो इसी में है, जो दर्द याद रह जाए हमेशा के लिए.
अक्की मेरे चूचों को दबाए जा रहा था.
उसने मेरे चूचे मसल-मसलकर लाल कर दिए थे मेरे निप्पल पूरी तरह गरम हो चुके थे. मेरी तड़प चरमसीमा तक पहुंच गई थी और अब न जाने मैं क्या करने वाली थी तभी अक्की ने मेरी चूत में ऊंगली डाल दी और मसलने लगा. उसकी चूत का मसलना मेरे लिए बैचेनी बढ़ा रहा था और मेरे अंदर चुदने की तपन बढ़ा रहा था. अक्की ने धीरे-धीरे अपने दोनों हाथ नीचे लिए और मेरी पेंट का हुक खोल दिया और पेंट को मेरे घुटनों से नीचे करता गया.
उसका लंड पहले की खड़ा हो चुका था,
उसने अपनी पैंट उतारी और लंड बाहर निकाल लिया. अब वो धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी पेंटी के बाहर से चूत पर रगड़ने लगा. उसका लंड ऐसा लग रहा था जैसे कोई गरम सरिया पिघल रहा हो. मेरी चूत उसके लंड की गरमी के लिए तड़प उठी थी.
वो अपने लंड की छुअन से मेरी चूत पर बार-बार रगड़ लगा रहा था, इससे पहले की वो कुछ करता, मैंने पेंटी उतार दी और अक्की ने खड़े-खड़े अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया और मुझे लेकर दिवार की और गया. अक्की ने मुझे दिवार के साथ लगे एक टेबल पर बैठा दिया और आगे-पीछे होकर जोरदार झटके देने लगा.
अक्की चुदाई के अलावा थूक की चटाई करने में एक्सपर्ट था.
उसने अपने लंड पर थूक डाला और उसके बाद लंड को चूत के अंदर डालकर चुदाई करने लगा. अक्की जानता था कि जब तक मेरी चूत पूरी तरह गीली नहीं होगी, लंड को चोदने में घिसावट होगी इसलिए तेज़ और दर्दभरी चुदाई सिर्फ थूक की चुदाई के बाद ही होगी. अक्की जोर-जोर से मेरी चूत मार रहा था और हर 5 झटके मारने के बाद फौरन लंड पर थूक डालकर वापस लंड को चूत में डाल देता जिससे लंड चिपचिपा और गीला हो जाता और चूत में लगातार खीसावट पड़ रही थी.
पच…पच…पच….अई…..आ…..म……म……और तेज़ अक्की……आह…….अम…..और तेज़….फाड़ दो मेरी चूत…आह…..आ……अम……अम….आह……अई…..। अक्की मेरी चीखों से और तेज़ हो जाता और मेरी चूत को और तेजी से मारता. चीखें निकलने लगी, मैं उई…उई…चिल्ला रही थी और वो आह…आह….चिल्ला रहा था मैं जितना तेज़ चिल्ला रही थी वो मुझसे ज्यादा तेजी से चिल्ला रहा था.
हमारे बीच चुदाई की ऐसी गरमी पैदा हो गई थी जिसे बुझा पाना अब हम दोनों के ही बस के बाहर हो गया था. मैं उसे बहुत पूरी ताकत से साथ चोदने का मौका दे रही थी और वो अपनी पूरी ताकत लगा भी रहा था.
उसे न चाहते हुए भी मैनें इतना बेताब कर दिया था कि वो हर तरह से मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था. अक्की ने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से चोदने लगा. मैं बहुत खुश हो गई ….दर्द मिलने वाला था. मैनें अक्की से कहा – क्या बात है, तुम्हारा झड़ा नहीं. अक्की ने कहा – अभी कहां, अभी तो टांग को कंधे पर चोदना बाकी है. अक्की ने उसके बाद मुझे वो झटके दिए कि मेरी चूत लाल हो गई और मेरी आवाज़ चीखों में बदल गई.
अक्की ने म्यूजिक सिस्टम चला दिया ताकि आवाज़ बाहर न जाए और आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी.
अब अक्की ने मेरी दोनों टांगों को अपने कंधें पर रख दिया और गोच्चे मारने लगा. फच…फच….फच….ये सब मुझे दिवाना कर रहे थे, मैं मदहोश होती जा रही थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूं. मन तो कर रहा था कि अक्की के लंड को मुंह में लेकर सारा मुंह में झाड़ दूं और मैनें वैसा ही किया. मैनें अक्की का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
अक्की का लंड बहुत गरम था और पूरी तरह झड़ा नहीं था. मैनें उसके लंड को पकड़ा और हाथ से हिलाने लगे. अक्की ने आंखें बंद कर ली और मैं उसका लंड झड़ाने लगी. उसका लंड बहुत मोटा था और मेरे मुंह के अंदर फिट नहीं हो रहा था मैनें अक्की के लंड को हिलाना तेज़ कर दिया और थोड़ी देर में पच..पच करके अक्की ने मेरे मुंह पर झाड़ दिया.